Corona VirusUttar Pradesh

अमेठी में प्रत्याशी की मौत, फिर भी हुआ मतदान !

कल यानी 26 अप्रैल के रोज अमेठी जिले में जिला पंचायत पद प्रत्याशी, बीडीसी और ग्राम प्रधान के लिए मतदान हुए…नियम के हिसाब से अगर मतदान से पहले ही किसी प्रत्याशी की मौत हो जाती है तो उस वार्ड या क्षेत्र में चुनाव को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया जाता है लेकिन अमेठी में सारे नियमों को ताक पर रख दिया गया…जी हां एक प्रत्याशी की मौत के बावजूद कल यानी 26 अप्रैल को हुआ मतदान नहीं रोका गया…एक तरफ जिला पंचायत सदस्य की चिता जलती रही तो वहीं दूसरी तरफ इलाके में मतदान चलता रहा…लेकिन इस चुनाव में भी डमी कैंडिडेट और बूथ एजेंट का खेल चल रहा था…
अब हम बात करेंगे अमेठी जिले के वार्ड नंबर 10 की…जहां के जिला पंचायत सदस्य प्रत्याशी विजय शुक्ला की 25 अप्रैल यानी मतदान से ठीक एक दिन पहले मौत हो गई…नियम के मुताबिक किसी भी प्रत्याशी की मौत होने पर मतदान को फिलवक्त के लिए रद्द कर दिया जाता है…लेकिन यहां ऐसा कोई नियम फॉलों नहीं किया गया…विजय शुक्ला ने तय वक्त पर पर्चा दाखिल किया था और उन्हें चुनाव निशान चश्मा मिला था…लेकिन विजय शुक्ला अपने चुनाव निशान चश्मे का नहीं बल्कि ट्रैक्टर का प्रचार कर रहे थे…ऐसा क्यों था ये हम आगे बताएंगे…लेकिन उससे पहले चुनाव का हाल जान लीजिये… चुनाव का माहौल सुरुर पर था…विजय शुक्ला अपनी जीत के लिए हर कोशिश कर रहे थे लेकिन इससे पहले ही की वो मतदान का माहौल देख पाते उनकी मौत हो गई…विजय शुक्ला की मौत से परिवार और इलाके में हाहाकार मच गया…लेकिन इतनी बड़ी घटना के बावजूद मतदान को रद्द नहीं किया गया…

अब जरा इस पोस्टर को देखिये…इस पोस्टर पर फोटो तो विजय शुक्ला कै है लेकिन चुनाव निशान उनके बेटे सूरज शुक्ला का है…इस चुनाव निशान और प्रचार में भी बहुत बड़ा खेल किया गया था…जानकारों की माने तो विजय शुक्ला और उनके बेटे सूरज ने एक ही वार्ड से एक ही पद के लिए पर्चा दाखिल किया था…लेकिन पिता ने अपना चुनाव निशान चश्में का प्रचार ना करते हुए बेटे के चुनाव निशान ट्रैक्टर का प्रचार शुरु कर दिया…
बाइट-
इस पोस्टर को देखने पर ये ही लग रहा है कि ये विजय शुक्ला का है लेकिन ये दरअसल ये विजय शुक्ला का पोस्टर नहीं बल्कि उनके बेटे सूरज शुक्ला का पोस्टर है…जिसपर तस्वीर विजय शुक्ला की चस्पा है…अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर एक ही परिवार से दो उम्मीदवारों ने एक ही वार्ड से एक ही पद के लिए पर्चा क्यों दाखिल किया…तो जनाब इसके पीछे भी एक थ्योरी है…असल में हर कैंडीडेट अपने हिसाब से कुछ बूथ एजेंट तैयार करता है…जो मतदान के दिन उसके साथ खड़े रहते हैं…अगर एक ही परिवार से दो कैंडीडेट होंगे तो जाहिर सी बात है कि बूथ एजेंट भी डबल हो जाएँगे…कुल मिलाकर ये समझ लीजिये के सारा खेल डमी कैंडिडेट और बूथ एजेंट की गिनती बढ़ाने का है…ताकि जनता के कन्फ्यूज करते हुए वोट हासिल किया जा सके…

Related Articles

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

Back to top button