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महंगाई का निकालना होगा स्थायी हल, नए भारत के निर्माण की दिशा में बढ़ते कदमों के लिए है हानिकारक
आरबीआइ ने अपनी नवीनतम मौद्रिक नीति के अंतर्गत वर्तमान के रेपो रेट 6.5 प्रतिशत में कोई परिवर्तन नहीं किया है। अगली मौद्रिक नीति में इसमें कितना परिवर्तन होगा यह इस पर निर्भर करेगा कि महंगाई के कारण मांग पर कितना असर पड़ता है। मूल्य अनिश्चितता के कारण भविष्य के लिए निवेश और बचत पर नकारात्मक प्रभाव दिखाई पड़ सकता है।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फिर से दोहराया कि महंगाई पर लगाम लगाना सरकार की प्राथमिकता है। यदि आर्थिक गतिविधियों को गतिशील बनाना है तो महंगाई को थामना जरूरी है। जून में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक यानी महंगाई की दर 4.8 प्रतिशत थी, जबकि जुलाई में तेजी से बढ़कर 7.44 प्रतिशत हो गई। टमाटर, प्याज, मटर, लहसुन और अदरक जैसी सब्जियों की कीमतें पिछले कुछ महीनों में दोगुनी से भी ज्यादा हो गई हैं।