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UPPSC PCS : पढ़ें पीसीएस के पहले 5 टॉपरों की सफलता की कहानी

मथुरा के विशाल सारस्वत ने महज 25 साल की उम्र में प्रदेश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा में टॉप किया है। उनके पिता शिव प्रकाश मंदिर में पूजा करते हैं और मां राजेश्वरी गृहणी हैं। बड़े भाई इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाइजेशन (इसरो) में कार्यरत हैं। आर्थिक रूप से कमजोर विशाल ने ईडब्ल्यूएस वर्ग में आवेदन किया था। उनका वैकल्पिक विषय अर्थशास्त्र था। मथुरा में ही रहकर तैयारी करने वाले विशाल ने पिछली बार पीसीएस 2018 का इंटरव्यू दिया था लेकिन सफलता नहीं मिली थी। सीबीएसई बोर्ड से 2011 में 10वीं और 2013 में 12वीं करने वाले विशाल ने 2016 में आगरा विवि से स्नातक और यहीं से 2018 में अर्थशास्त्र से एमए किया। उसके बाद तैयारी में जुट गए। परीक्षा में टॉप करने की उम्मीद नहीं थीबस चयन की ही उम्मीद लगाए थे। उनका कहना है कि नियमित पढ़ाई बहुत आवश्यक है। नियमित 3 4 घंटे पढ़ाई किया और मित्रों व परिवार का काफी सहयोग रहा।

नौकरी से इस्तीफा देकर युगांतर ने की तैयारी, पाई सफलता
पीसीएस 2019 में नैनी के युगान्तर त्रिपाठी को दूसरा स्थान मिला है। तीन भाइयों में सबसे छोटे युगांतर के पिता रवि प्रकाश त्रिपाठी वर्ष 2017 में छिवकी रेलवे स्टेशन से प्रबंधक पद से रिटायर हुए। बड़े भाई अंशुमान बंगलुरु में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। दूसरे नंबर के देवव्रत मुंबई में भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (बार्क) में वैज्ञानिक हैं। मां मधु त्रिपाठी गृहणी हैं। युगांतर ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2004 में नैनी स्थित माधव ज्ञान केंद्र इंटर कॉलेज से हाईस्कूल और 2006 में श्री रणजीत पंडित इंटर कॉलेज से इंटर की पढ़ाई की। फिर वर्ष 2011 में युनाइटेड ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस से इलेक्ट्रिकल ब्रांच में बीटेक किया। इसके बाद 2015 में जयपुर विद्युत वितरण निगम में जूनियर इंजीनियर के पद पर नियुक्त हुए। एक साल बाद 2016 में नौकरी से इस्तीफा देकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुट गए। लगातार दो बार प्रयास में विफलता मिलने के बाद तीसरे प्रयास में उन्होंने कामयाबी भी हासिल कर ली। वह 10 से 12 घंटे नियमित पढ़ाई करते थे। वैसे उनका लक्ष्य संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा में हासिल करना है। सफलता के लिए जरूरी है कि ईमानदारी से मेहनत करें और किताबें अच्छे से पढ़ें। नकारात्मक बातों से दूर रहकर उन्होंने बिना कोचिंग की मदद लिए सफलता हासिल की।

स्त्री रोग विशेषज्ञ पूनम बनीं महिलाओं की टॉपर
पीसीएस 2019 के परिणाम में लखनऊ की पूनम गौतम ने महिला वर्ग में टॉप किया हैं। मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज से 2011 में एमबीबीएस करने के बाद उन्होंने किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय से एमडी किया और उसके बाद पति डॉक्टर सुनील कुमार के साथ क्लीनिक पर प्राइवेट प्रैक्टिस करने लगी। लेकिन समाज से महिलाओं को दबाने की मानसिकता को दूर करने और सास की प्रेरणा से उन्होंने पीसीएस की तैयारी शुरू की। वैकल्पिक विषय में चिकित्सा विज्ञान लिया था। यह उनका तीसरा प्रयास था। 2018 में एक नंबर से प्रारंभिक चयन में नहीं हुआ था। संयुक्त परिवार में रहने के कारण पांच साल की बेटी की देखभाल सास और जेठानी ने किया जिससे उन्हें पढ़ाई का समय मिल गया। तैयारी में कोई बाधा न हो इसलिए उन्होंने अपने ही मकान के पीछे एक किराये का कमरा लिया हुआ था जहां प्रतिदिन औसतन 6 से 8 घंटे पढ़ाई करती थीं। दो तीन घंटे मरीजों को भी देखती थीं। उनका मायका कानपुर देहात में है।

बिहार के कुनाल गौरव को मिली चौथी रैंक
मुजफ्फरपुर बिहार के कुनाल गौरव को पीसीएस 2019 में चौथा स्थान मिला है। आईआईटी बीएचयू से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद बिहार में ही पावर ग्रिड में उनकी नौकरी लग गई। लेकिन अफसर बनने का सपना दिल में बना रहा। उन्होंने वैकल्पिक विषय भूगोल से परीक्षा दी थी। दो बार संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा में साक्षात्कार दे चुके हैं। पिता त्रिभुवन सिंह शिक्षक पद से रिटायर हैं और मां सविता कुमारी शिक्षिका हैं। उनका मानना है कि केंद्रित होकर तैयारी करनी चाहिए। कंसेप्ट क्लीयर रखें और नोट्स के पीछे बहुत भागने की जरूरत नहीं है।

कासगंज की प्रियंका को चौथे प्रयास में मिली सफलता
पीसीएस 2019 में पांचवें और महिलाओं में दूसरे स्थान पर कांशीराम नगर (कासगंज) की प्रियंका कुमारी को सफलता मिली है। एटा से बीएससी करने के बाद 2012 में दिल्ली चली गईं। 2014 में फूड कारपोरेशन ऑफ इंडिया में चयन हुआ और 2015 में कर्मचारी चयन आयोग की कंबाइंड ग्रेजुएट लेवल एग्जाम में सफलता प्राप्त की। संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा का साक्षात्कार तीन बार दे चुकीं प्रियंका को चौथे प्रयास में पीसीएस में सफलता मिली है। प्रियंका का मानना है कि असफल होने के बाद भी उम्मीद न छोड़ें, दृढ़ निश्चय और पूरे आत्मविश्वास के साथ नियमित तैयारी करें।

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