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मौसम में बदलाव, खान-पान में गड़बड़ी या फिर शारीरिक कमजोरी की वजह से वायरल बुखार होता है…

आमतौर पर वायरल बुखार के लक्षण आम बुखार जैसे ही होते हैं लेकिन इसको उपेक्षा करने पर व्यक्ति की हालत काफी गंभीर हो सकती है… वायरल फीवर संक्रमण से होने वाली बीमारी है… आयुर्वेद के अनुसार वायरल फीवर होने पर शरीर के तीनों दोष प्रकूपित होकर अलग अलग लक्षण दिखाते हैं..
ये तो बात हुई की वायरल बुखार होता क्या है, अब जानते है ये किन वजहो से हो सकता है… दूषित जल या भोजन का सेवन करने पर भी बुखार आ सकता है… प्रदूषण की वजह से दूषित वायु में मौजूद सूक्ष्म कणों यानी की फौरेन एजेंट्स शरीर के अंदर चले जाते है और ये भी एक वजह है वायरल होने का… रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी की वजह से भी वायरल होता है… अब बात करते है इसके लक्षणो की.. वायरल फीवर के लक्षण सामान्य रूप से होने वाले बुखार की तरह ही लेकिन इसको नजरअन्दाज करने से अवस्था गंभीर हो सकती है क्योंकि इलाज के अभाव में वायरस के पनपने की संभावना रहती है.. वायरल संक्रमण किसी भी उम्र में हो सकता है लेकिन बच्चों में यह अधिक देखा जाता है… इसके कुछ आम लक्षणों में थकान, पूरे शरीर में दर्द होना, शरीर का तापमान बढ़न, खाँसी, जोड़ो में दर्द, दस्त, त्वचा के ऊपर रैशेज होना, सर्दी लगना, गले में दर्द, सिर दर्द, आँखों में लाली और जलन रहना और उल्टी और दस्त का होना ये इसके कुछ लक्षण है…
अब बात करते है की इसे ठीक कैसे किया जा सकता है.. वायरल बुखार ठीक होने में 5-6 दिन भी लग जाते है… लेकिन कुछ सावधानियां बरतने पर इस रोग को होने से रोक सकते हैं… जैसे की खाने में उबली हुई सब्जियां, हरी सब्जियां खाना चाहिए.. दूषित पानी और भोजन से बचें.. पानी को पहले उबाल कर थोड़ा गुनगुना ही पिएँ… वायरल बुखार से ग्रस्त रोगी के सम्पर्क में आने से बचें… मौसम में बदलाव के समय उचित आहार-विहार का पालन करें.. इसके अलावा कुछ घरेलू नुस्खे भी है जो आपकी मदद करेंगे.. इनमे तुलसी, गिलोय, अदरक, मेथी का पानी, दालचीनी, और धनिया शामिल है..

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